कालीय ह्रद या दह

विशेष्ता

इसका वर्तमान नाम कालीय दह है। श्रीकृष्णने कालीय नागका यहीं दमन किया था। पासमें ही केलि-कदम्ब है, जिसपर चढ़कर श्रीकृष्ण कालीयहृदमें बड़े वेगसे कूदे थे।

केलि-कदम्ब वृक्ष का इतिहास

कालीय नागके विषसे आस-पासके वृक्ष-लता सभी जलकर भस्म हो गये थे। केवल यही एक केलि-कदम्ब बच गया था। इसका कारण यह है कि महापराक्रमी गरुड़ अपनी माता विनताको अपनी विमाता कद्रुके दासीपनसे मुक्त करानेके लिए देवलोक से अमृतका कलश लेकर इस केलि-कदम्बके ऊपर कुछ देरके लिए बैठे थे। उसके गंध या छींटेके प्रभावसे यह केलिकदम्ब बच रहा था।

कालिया ह्रद

कालीय दमन लीला          

कालीय नाग भी बड़ा पराक्रमी था। जब उसने कृष्णको अपने फेंटेमें बाँध लिया, उस समय कृष्ण कुछ असहाय एवं निश्चेष्ट हो गये। उस समय नागपत्नियाँ, जो कृष्णकी परम भक्त थीं, प्रार्थना करने लगीं कि भगवद् विरोधी पतिकी स्त्री होनेके बदले हम विधवा होना ही अधिक पसन्द करती हैं । किन्तु, ज्योंही कृष्ण नागके फेंटेसे निकलकर उसके मस्तकपर पदाघात करते हुए नृत्य करने लगे, उस समय कालीय अपने सहस्रों मुखोंसे रक्त उगलते हुए भगवान्‌के शरणागत हो गया।

उस समय नाग-पत्नियाँ उसके शरणागत भावसे अवगत होकर, हाथ जोड़कर कृष्णसे उसे जीवन दानके लिए प्रार्थना करने लगीं। श्रीकृष्णने उनकी स्तव स्तुतिसे प्रसन्न होकर कालीय नागको अभय प्रदानकर सपरिवार रमणक द्वीपमें जानेके लिए आदेश दिया तथा उसे अभय देते हुए बोले- अब तुम्हें गरुड़जीका भय नहीं रहेगा। वे तुम्हारे फणोंपर मेरे चरणचिह्नको देखकर तुम्हारे प्रति शत्रुता भूल जायेंगे।

कालीया दमन

नाग-पत्नियों की प्रार्थना

नाग-पत्नियोंने यह प्रार्थनाकी थी – 

         हे देव ! आपके जिस पदरजकी प्राप्तिके लिए श्रीलक्ष्मीदेवीने अपनी सारी अन्य अभिलाषाओंको छोड़कर चिरकाल तक व्रत धारण करती हुई तपस्या की थी, किन्तु वे विफल – मनोरथ हुई, उसी दुर्लभ चरणरेणुको कालीय नाग न जाने किस पुण्यके प्रभावसे प्राप्त करनेका अधिकारी हुआ है ।

श्रीमद्भागवतके गौड़ीय टीकाकारोंका यहाँ सुसिद्धान्तपूर्ण विचार है। कालीयपर भगवान्‌की अहैतुकी कृपाका कारण और कुछ नहीं बल्कि कालीयनागकी पत्नियोंकी श्रीकृष्णके प्रति अहैतुकी भक्ति ही है। क्योंकि भगवद्-कृपा भक्त-कृपाकी अनुगामिनी है।

One thought on “कालीय ह्रद या दह

  1. गुरुदेव की जय ,सभी वैष्णव वृन्द की जय 😇🙏🌸

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